📘 कविता परिचय: "ज़िंदगी के सफर की सच्चाई चलते हैं" 🛤️🕯️
मेरी कविता जीवन की उन सच्चाइयों को उजागर करती है जो अक्सर हमारी आंखों के सामने होती हैं, पर हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इसमें ज़िंदगी के सफर में मिलने वाले अंधेरे-उजाले 🌑🌞, तकलीफ़ और सुकून 😔😊, बचपन-बुढ़ापा 👶👴, कर्म और परिणाम ⚖️ जैसी भावनाओं को बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली तरीके से हमने प्रस्तुत की है।
✴️ हमारी भावना:
👉 हमें यह सिखाती है कि ज़िंदगी ठहरती नहीं, ये तो निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है — जहाँ हमारी छोटी-बड़ी चूकें, बेपरवाही और जीवनशैली का असर सिर्फ हम पर नहीं, बल्कि दूसरों पर भी पड़ता है।
🩺 डॉक्टर, बीमारी, बदनामी और कर्म जैसे विषयों को जोड़कर हमने मानवीय जिम्मेदारी और चेतना की ओर ध्यान खींचने की कोशिश किया है।
🔍 हमारी संदेश:
⚠️ अपनी गलतियों को दूसरों पर थोपने से पहले आत्मचिंतन ज़रूर करनी चाहिए!
🕰️ जीवन का हर पड़ाव पर एक चेतावनी है — चाहे वह जवानी हो या बुढ़ापा।
🧭 ज़िंदगी को सही दिशा देना हमारा खुद का उत्तरदायित्व है।
🖋️ हमारे कलम के द्वारा लिखी यह रचना केवल कविता नहीं, बल्कि हर पाठक को आईना दिखाने वाली अनुभव की कलम है।
यही मेरा उद्देश्य है आओ शुरू करें कविता कुमार गुप्ता के साथ☄️
ज़िंदगी के सफर की सच्चाई चलते हैं 🛤️🕯️
रोशनी जलाने से अंधेरा चलता है, 🌑➡️🌟
मंज़िल दिखाने से मुसाफ़िर चलता है। 🧳🚶
👉 दूसरों को तकलीफ़ देने से,
ख़ुद का सुकून चलता है। 😔➡️😌
👉 गुज़रे हुए वक़्त को याद करने से,
ख़ुशी ढूँढने वाले पल चलते हैं। 🕰️📸
बुढ़ापे की मोड़ पर बचपन चलता है। 👴❤️👶
बड़ी बेवकूफ़ होते हैं ये लोग,
जो कर्म नहीं करते हैं, 🛌
सिर्फ़ बीमार पड़ते हैं,
और दवा के लिए चलते हैं। 💊🚶♂️
हिसाब तो कुछ होता ही नहीं,
सिर्फ़ परिणाम निकल पड़ते हैं। 🧾⚖️
अगर सही से दवा ना खाएँ,
तो ज़िंदगी भी मौत के लिए चल पड़ती है। 💊❌➡️⚰️
👉 और बदनामी में डॉक्टर के नाम निकल पड़ते हैं। 🩺📢
ग़लती तो हमसे होती है,
पर सज़ा के लिए कोई और निकलता 😓
जवानी समय से "पहले ही बुढ़ापे में बदलते है। 👦⏳👴
✍ कुमार गुप्ता
![]() |
"जिंदगी चलती है कभी अंधेरों में तो कभी रोशनी में" |
🔍 मुख्य बिंदु:
👉ज़िंदगी के सफर में रोशनी, अंधेरा, मंज़िल, तकलीफ़, सुकून, बचपन, बुढ़ापा और कर्म का जीवन में गहरा संबंध है।
🌿 अगर ये कविता आपके मन को छू गई हो,
तो नीचे दी गई और रचनाएं भी आपके दिल को ज़रूर छुएंगी... 💭💚
👇👇📚✨
- यादों की नदी,बरसात-सा जीवन,सागर की ओर,संग संग चलो :- 👉मेरा जीवन नदिया की पानी है।
- अकेलापन,सामाजिक भावनाएँ,लेखन मेरा जुनून:- 👉शब्दों में बसता हूँ, पर किसी की सोच में नहीं ।
- नफरत से परे,तेरी बाहों में सुकून,ख़्वाब और कफन,तेरी तलाश में:- 👉छांव तेरी गेसुओं की
- पलकों से बहती ज़िंदगी, वादे और वक़्त, जिंदगी के मोड़ पर:- 👉खामोशी की जुबां
- मौन प्यार, अनकही बातें,दर्द जो शब्दों में नहीं ढलता,दिल की बात, अल्फाज़ से परे:- भावनात्मक गहराई और आत्मीयता
- स्त्री के संघर्ष, त्याग और समाज की सच्चाई को दर्शाने वाली एक मार्मिक कविता, जो गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है।:- 🖋️ औरत की अजीब दास्तान
- तक़दीर की मुलाक़ात: इश्क़, यादें और फसाने की अनमोल शायरी :👉 कुछ मुलाक़ातें तक़दीर से होती हैं
👉My poetry is translated from Hindi to English for better understanding and collaboration
"Keeps Moving"
Lighting the lamp makes darkness move,
Showing the destination
makes travelers move.
Causing pain to others, Brings peace to oneself.
Remembering the past moments,
Makes the search for happiness
move.
At the turn of old age, childhood moves again.
Foolish are those, Who do not act,
Only fall ill, And move
just for medicine.
👉There is no real calculation, Only results emerge.
If
medicine is not taken properly, Life itself moves towards death.
And in disgrace, the doctor's name comes forward.
Mistakes are ours, Yet someone else moves forward for
punishment.
Youth changes into old age earlier than time itself.
✍🏻 Poet
Kumar Gupta
🔍Key Point: There is a deep connection between light, darkness, destination, suffering, peace, childhood, old age, and actions in the journey of life.
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