कविता के माध्यम से, समाज का मार्गदर्शन!

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✍️ कुमार गुप्ता

शहादत की आवाज़ – 14 फरवरी की कहानी

 🕯️🇮🇳 परिचय – "शहादत की आवाज़ – 14 फरवरी की कहानी" 🪖🩸

यह कविता 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा आतंकी हमले 🛻💣 की त्रासदी पर आधारित है। जब देश ने अपने जांबाज़ CRPF वीरों को खोया, तब हर दिल रोया। कवि कुमार गुप्ता ने इस रचना में एक फौजी के आख़िरी लम्हों को बड़ी भावनात्मकता से शब्दों में पिरोया है।

🪖💔 कविता एक सैनिक की आवाज़ है – 

जो मर कर भी अमर है,

🕯️ एक माँ का लाल है – 

जो देश के लिए मुस्कराते हुए विदा हुआ।

🇮🇳 यह कविता सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं,

 बल्कि एक आगाज है –

कि हम ना भूलेंगे, ना माफ करेंगे।

🫡 “तेरा ना होना आज भी मेरी रणंजीशे है…

🩸 “फौजी तेरा होना, आज भी मेरा वजूद है…

🕯️🕯️🕯️

यह कविता हर उस दिल की आवाज़ है, 

जो हिंदुस्तान के लिए धड़कता है।

 🕯️ शहादत की आवाज़ – 14 फरवरी की कहानी 🇮🇳


🪖 फौजी

 

तेरा होना आज भी,

मेरा वजूद है । ✊🇮🇳

 तेरा ना होना ,

आज भी मेरी रणंजीशे है । 🩸

 🗓️ 13 फरवरी को,

फौजी ने मुस्कुराया था 😊

 🌅 सुबह-सुबह उठकर ,

कुछ गुनगुनाया था 🎶

वंदे मातरम वंदे मातरम 🇮🇳

 😠 नजर लगी थी दुश्मनों की

 

🚐 पुलवामा पे आके,

घात लगाया था 💣

 ⚠️ धोखे से 14 फरवरी को,

गहरी नींद सुलाया था 🛌

 वो समझे जज्बात मर गए 😡

ये हिंदुस्तान है 🇮🇳

फौजी की शहादत पे

ब्लैक डे मनाया था 🖤

 

 🙏 ये भारत है

अदब से सर झुकाया था 🫡

 फौजी तेरा होना,

आज भी मेरा वजूद है ❤️

 ✨ तू अमर है ।

💥 तेरी वीरता की बलिदानी,

आज भी तेरे होने की सबूत है 📜

                         जय हिंद जय भारत! 

                            ✍️ कुमार गुप्ता

14 फरवरी को सिर्फ एक तारीख नहीं, बलिदान की वो सुबह है जब एक फौजी ने वंदे मातरम् गुनगुनाया था और देश ने हमेशा के लिए उसे याद में बसा लिया।
"14 फरवरी को सिर्फ एक तारीख नहीं,
बलिदान की वो सुबह है जब एक फौजी ने
'वंदे मातरम्' गुनगुनाया था...
और देश ने हमेशा के लिए उसे याद में बसा लिया। 🇮🇳

 🌿 अगर ये कविता आपके मन को छू गई हो,

तो नीचे दी गई और रचनाएं भी आपके दिल को ज़रूर छुएंगी... 💭💚

👇👇📚✨ 

🌙 कभी-कभी कुछ लफ़्ज़ दिल में उतर जाते हैं…

और आपके जज़्बातों को आवाज़ दे सकती हैं... 💌✨

 कविता के मुख्य बिंदु 

 👉फौजी की उपस्थिति और अनुपस्थिति का प्रभाव:-

फौजी का होना कवि के अस्तित्व का प्रतीक है, और उसका ना होना एक अधूरी लड़ाई की तरह है।

 👉13 फरवरी की सुबह:

फौजी ने मुस्कुराकर और कुछ गुनगुनाकर एक सामान्य दिन की शुरुआत की थी।

 👉14 फरवरी का धोखा:

पुलवामा में आतंकवादी हमले का ज़िक्र, जिसमें फौजी को धोखे से शहीद किया गया।

 👉भावनात्मक चोट और क्रोध:

कवि यह स्पष्ट करता है कि भले ही फौजी को मारा गया, लेकिन उसके जज़्बात नहीं मरे।
👉राष्ट्रीय भावना और श्रद्धांजलि:
देश ने फौजी की शहादत पर शोक (Black Day) मनाया और सम्मान के साथ सिर झुकाया।
👉फौजी की अमरता:
फौजी मरकर भी जीवित है – उसकी वीरता और बलिदान अमर हैं।
👉देशभक्ति का संदेश:
👉कविता के अंत में "जय हिंद जय भारत" के साथ राष्ट्रप्रेम और गर्व की भावना प्रकट की गई है।

👉My poetry is in English language from my Hindi Content for better understanding with collaboration.

Soldier

Your presence,
still defines my existence.
Your absence,
still feels like an unfinished battle.

On the 13th of February,
a soldier smiled.
He woke up early,
and softly hummed a tune –
"Vande Mataram... Vande Mataram."

But evil eyes were watching.
At Pulwama,
they set a deadly trap.
On the 14th of February,
they deceitfully laid him to eternal rest.

They thought emotions had died,

but this is Hindustan –
we mourned the martyrdom
with a Black Day.

This is Bharat –
where we bow our heads in honor.

O Soldier, your presence
still lives in me.
You are immortal.
Your bravery and sacrifice
are eternal proof of your being.

Jai Hind! Jai Bharat!
Kumar Gupta

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