कविता के माध्यम से, समाज का मार्गदर्शन!

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जहां शब्द बनते हैं समाज की आवाज!
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✍️ कुमार गुप्ता

शब्दों में बसता हूँ, पर किसी की सोच में नहीं | एक भावनात्मक हिंदी कविता

📖 कविता परिचय:

"शब्दों में बसता हूँ" एक आत्मदर्शी और भावनात्मक कविता है, जो एक संवेदनशील रचनाकार की अंतर्दृष्टि को दर्शाती है।

📝 यह कविता उन अदृश्य संघर्षों की झलक देती है, जो एक लेखक, एक इंसान अपने मन में जीता है — वह जो सभी से प्रेम करता है, पर स्वयं कहीं किसी की याद, किसी के ज़हन, या किसी की राह में नहीं होता।

🔍 कविता इस बात की ओर इशारा करती है कि हम कई बार दुनिया में रहकर भी, लोगों की नज़रों में खो जाते हैं।

🗿 "पत्थर समझ कर लोग मुझे उठाते नहीं..." जैसी पंक्तियाँ न केवल सामाजिक उपेक्षा को दर्शाती हैं, बल्कि आत्ममूल्य की पहचान की भी पुकार हैं।

✍️ यह एक ऐसा आईना है जिसमें हर संवेदनशील आत्मा खुद को देख सकती है।

📚 एकांत, अनदेखापन, और शब्दों में जीती आत्मा की एक सुंदर प्रस्तुति है यह रचना।

👤 कुमार गुप्ता का विश्वास है आओ शुरू करे कविता

शब्दों में बसता हूँ, पर किसी की सोच में नहीं 

बेखबर सा हूंँ 

मगर किसी के 

नजर में नहीं हूँ। 

लिखता हूंँ अपनी बातें, 

मगर किसी के जहन दिलो, 

दिमाग में नहीं हूँ।👍

प्यार करता हूंँ सभी से ,

मगर किसी के, 

रास्ते में नहीं हूँ।

पत्थर समझ कर 

लोग मुझे उठाते नहीं, 

 तरासने में बैठू तो ,

किसी के तकदीर में नहीं हूँ। 

कलम की तलवार से ,👉

कागज की चिता पे, 

लेटा सा हूंँ।

 मगर किसी के, 

शब्दों के अल्फाजो ,

में  नहीं हूँ। 

 बेखबर सा हूंँ, 

मगर किसी के नजर में

मैं नहीं हूँ।

कुमार✍️ गुप्ता

मैं उन बागों के बारे में लिखूंगा जहाँ बच्चे खेलते हैं और बुजुर्ग कल की कहानियाँ सुनाते हैं।
मैं उन बागों के बारे में लिखूंगा जहाँ बच्चे खेलते हैं,
और बुजुर्ग कल की कहानियाँ सुनाते हैं










  • कविता के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं👇

👉अकेलापन और अनदेखापन – कवि अपनी मौजूदगी को महसूस करता है लेकिन उसे कोई देख नहीं रहा। वह समाज में रहते हुए भी अनदेखा रह जाता है।

👉भावनात्मक अभिव्यक्ति – वह अपनी भावनाओं को शब्दों में ढालता है लेकिन फिर भी उसका प्रभाव दूसरों पर नहीं पड़ता।

👍प्यार और स्वीकार्यता – वह सभी से प्रेम करता है, फिर भी किसी की जिंदगी में उसका कोई खास स्थान नहीं है।

 👫संवेदनशीलता और समाज की प्रतिक्रिया – कवि को पत्थर समझकर लोग अनदेखा कर देते हैं, लेकिन अगर उसे तराशा जाए तो वह किसी की तकदीर में भी जगह बना सकता है।

 ☝कलम और शब्दों की ताकत – वह अपनी भावनाओं को कलम के माध्यम से व्यक्त करता है, लेकिन फिर भी वह किसी के शब्दों या जज्बातों में जगह नहीं बना पाता।

🌿 अगर ये कविता आपके मन को छू गई हो, 

तो नीचे दी गई और रचनाएं भी आपके दिल को ज़रूर छुएंगी... 💭💚 नीचे दिए विडियो जरूर देखें 🧐

👇👇📚✨ 


Here My poetry is in English language available from Hindi  for better conversion with collaboration ✍️

My Dear friend

I write an interesting story of our  life.

This story is written after return from office.  

Now started. I reside in words, but not in anyone’s thoughts

I seem unaware,

 But I am not in anyone’s sight.

 I write my thoughts,

Yet they do not dwell in anyone’s mind, heart, or intellect.

 I love everyone,

But I do not walk in anyone’s path.

People see me as a mere stone and do not pick me up;

 And if I sit to sculpt myself,

 I am absent from their destiny.

 With the sword of my pen,

 I lay on the pyre of paper,

Yet, I do not find a place

 In anyone’s words or phrases.

I seem unaware,

 But I am not in anyone’s sight.

By Kumar Gupta

The main points of the poem are as follows:

👉Loneliness and invisibility – The poet feels his presence, but no one is seeing him. He remains unseen despite living in society.

👉Emotional expression – He shapes his emotions into words, but still, his impact does not reach others.

👉Love and acceptance – He loves everyone, yet he has no special place in anyone’s life.

👉Sensitivity and society’s response – People ignore the poet, thinking of him as stone, but if he is sculpted, he can find a place in someone’s destiny.

👉The power of pen and words – He expresses his feelings through the pen, but still cannot find a place in anyone’s words or emotions.



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