🕯️ परिचय –
"खामोशी की जुबां" 🖤 मेरी एक ऐसी कविता है जो हमें बताती है कि
🔇 शब्दों के बिना भी दर्द चीखता है,
और ⏳ वक़्त के साथ ज़ख्म भी मुस्कुराना सीख लेता हैं।
🥀 जब अपने ही ❓सवाल बन जाएँ,
तब 🤫 खामोशी ही जवाब बन जाती है।
💔 मेरी कविता उन सबके लिए है,
जो खामोशी में टूटे लेकिन फिर भी 🌅 मुस्कुराए।
✨ – कुमार✍️गुप्ता के द्वारा एक गहराई भरी प्रस्तुति ✨
🤝आओ शुरू करे कुमार✍️ गुप्ता के साथ कविता
🕯️💔 खामोशी की जुबां 💔🕯️
🌀 जिंदगी ने कोई कसर न छोड़ी,
हर मोड़ पे लाकर वादा तोड़ी।
😶🌫️ खामोशी से सब कुछ सहते गया,
😢 दुख का दरिया था,
आंखों से बह गया।
🌸 👉 हृदय का कमल था,
कीचड़ में रहकर खिल गया।
🍂 मौसम ने करवट बदली तो,
कीचड़ सुख गया।
🛤️ दुख-सुख के मोड़ पे,
मैं चलना संभल गया।
⏳ जाते-जाते वक्त का लम्हा,
इंतजार में कट गया।
💔 👉 वादे वफ़ा थे,
सब नाम के,
एक चेहरा क्या बदला —
जिंदगी में आईना बदल गया।
😶 खामोशी से कुछ बयां नहीं होती,
जिनके साथ चला था,
वो हद से आगे गुजर गया।
🌊 👉 प्यास बुझाते-बुझाते दरिया,
कब समंदर में उतर गया।
🌑 अंधेरा था जीवन में,
🪺 जुगनू की आहट पे,
सब उजालों में बदल गया।
😔 दुख का दरिया था,
आंखों से बह गया।
– ✍️ कुमार गुप्ता
अब बनती है✍️एक
🌟 ✨ शायरी – "दूरी" ✨🌟
👉 क्या थी तेरी मजबूरी!
जाते-जाते तुझसे,
एक बात कहनी थी...जरुरी!
![]() |
जाते-जाते भी कुछ रिश्ते अधूरे रह जाते हैं — मोह की सार कविता बनकर जीवन को आधार देते हैं। |
कुमार✍️ गुप्ता
✨ "खामोशी की जुबां" मुख्य बिंदु :-
👉ज़िंदगी की कठोरता:
जीवन ने हर मोड़ पर कठिनाइयाँ दीं और वादे तोड़े, जिससे विश्वास टूटता गया।
👉खामोशी में छिपा दर्द:
कवि ने बिना कुछ कहे सब कुछ सहा। दुःख का दरिया आँखों से बहता रहा।
👉कमल और कीचड़ का प्रतीक:
हृदय को कमल कहा गया जो कीचड़ में भी खिला, यानी विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मा मजबूत रही।
👉मौसम और बदलाव:
जैसे-जैसे समय बदला, दुख और दर्द सूख गए। समय के साथ सब बदला।
👉समझ और संतुलन:
जीवन के दुख-सुख के बीच चलना सीख लिया, यानी अब टूटने के बजाय सँभलना आ गया।
बदलते रिश्ते और आईना:
👉साथियों का बदल जाना:
प्यास और समंदर का प्रतीक:
👉अंधेरे से उजाले तक:
✌दूरी और अधूरी बात:
- प्यार,हार,और जीत का अनोखा सफर,जीवन,संबंध:- 👉पति पत्नी में प्यार भी बहुत होता है|
- आंखों की मासूमियत और प्यार की नाज़ुक बातें,जब आँखें बोल उठती हैं,प्यार की गहराई :👉आंखों की मासूमियत और मोहब्बत की नज़ाकत👈
- एक रहस्यमयी प्रेम कविता जिसमें कवि अपनी आत्मा में बसी एक अजनबी को खोजता है — सांसों, ख्वाबों और धड़कनों में उसकी मौजूदगी को महसूस करता है।:👉कौन हो तुम ?
- कविता तेरी यादों के साथ हर मौसम खास लगता है:👉जिस राह से चाँद ज़मीन पर उतरता है
🙏🙏🙏
👉My poetry is in English language from my Hindi Content for better understanding with collaboration
The Language of Silence
Life left no trial untouched,
At every turn, it broke a promise.
In silence, I bore it all —
A river of sorrow
Flowed quietly through my eyes.
👉 My heart was a lotus,
That bloomed amidst the mud.
Seasons changed,
The mud dried up.
On the path of joy and pain,
I learned to walk with care.
Moments of time slipped away,
Lost in endless waiting.
👉 Promises of loyalty —
All just words.
One face changed,
And the mirror of my life shattered.
Silence couldn't express everything,
Those who once walked beside me,
Crossed far beyond the limits.
👉 Quenching thirst after thirst —
Who knew when the river
Drowned in the sea?
Darkness loomed in life,
But with the arrival of a firefly,
Everything turned into light.
That river of sorrow
Still flows from the eyes...
✨ Shayari : Distance
👉 Distance...
What was your helpless reason?
While leaving,
There was one thing
I truly needed to say...
Was that distance really your only compulsion?
✍️ Kumar Gupta
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