कविता परिचय: 🌿मैंने अपनी कविता के माध्यम से ये बताने की कोशिश की है, आज का समय गवाह है कि दीवारें केवल ईंटों की
नहीं, दिलों की भी बन चुकी हैं इंसान,
जो कभी इंसानियत की मिसाल था, आज धर्म, जाति, ज़ुबान और स्वार्थ के नाम पर बँट चुका है।🌿
🔥 नफरत की आग में रिश्ते जल रहे हैं,
🕊️ और ज़रूरत है किसी ऐसे शब्द की जो पानी बनकर बुझे।
मैंने ये कविता तब लिखी जब दूसरे मुल्क द्वारा हिंदू मुस्लिम को लड़ाने की योजना बनाई जा रही थी और एक निर्दय घटना को अंजाम दिया गया!और उनके प्रयास भी असफल हुए साथ ही उनके द्वारा उठाए गए कदम का अंजाम भी बुरा हुआ आओ मिलकर शुरू करें कविता....
"इंसान से इंसान को लड़ने ना दो"—एक कविता नहीं, एक पुकार है.. जो आज भी हम प्रेम, समझ और एकता का रास्ता चुन सकते हैं।
अगर हम अब नहीं चेते, तो कल सिर्फ़ अफ़सोस बचेगी—और हमारी दुनिया चुप रहेगी।🌿
🕊 आइए, एक कदम उठाएँ—नफ़रत को नहीं, इंसान को अपनाएँ।🌿
🕊इंसान से इंसान को लड़ने ना दो 🌿
किसी की बसाई हुई घर को बिखरने ना दो 🏠💔
गर हो सके तो लगे आग पर पानी डालो 🔥🚿
इस तरह किसी इंसान को,
किसी इंसान से बिछड़ने ना दो 🧍♂️💔🧍♂️
एक तो उसके घर से चला जाए 🏡➡️
दूसरे को उसके दिल से निकलने ना दो 💓🚫
और इस जहान में कोई बुरा नहीं,
बस बुराई बात को फैलने ना दो 🌍🚫🗣️
सब अपना-अपना तजुर्बा का खेल है 🎭🧠
इस खेल में भी किसी को,
इस प्रकार के किरदार निकलने ना दो 🎬❌
जिस दिन यह बात को समझ कर जग जाओगे 🌅💡
हर इंसान के जुबान पे अपना ही नाम पाओगे 🗣️❤️
देश में अमन और शांति भी गठन कर पाओगे 🕊️🇮🇳
और अपने आने वाले नए मेहमान को भी,
इस मुसीबत से बचा पाओगे 👶🛡️
और अपनी जिंदगी भी अमन और शांति से जी पाओगे 🧘♂️🌼
क्या तुम ऐसा कर पाओगे❓
क्या तुम इस प्रकार इंसान को इंसान से मिलाओगे 🤝❤️
तभी जाकर इंसान के घर में भी,
अपना जगह कर पाओगे 🏠📍
वरना इंसानों के बीच में भी रहकर,
नफरत का व्यापार ही कर पाओगे 😡🛒
अगर नहीं कर सके तो,
ना इस पार ना उस पार ⛵❌
तैरते हुए प्यार के लिए,
उम्र भर तरस जाओगे 😢💔
ना ही कोई मुकाम,
ना ही कोई किनारा 🧭🚫
और ना ही कोई साहिल का पहचान कर पाओगे 🌊❓
🌿 क्या तुम ऐसा ही कर जाओगे? 🕊️
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳✊
✍️ रचनाकार — यशवंत कुमार गुप्ता
"नफ़रत के दौर में मोहब्बत की मुख्य बातें"
🕊 इंसानियत की पुकार:
हमारी कविता समाज से अपील करती है कि इंसान को
इंसान से लड़ने न दिया जाए -नफ़रत नहीं, मोहब्बत का माहौल बनाया जाए।
🕊 रिश्तों को जोड़ने की कोशिश:- मेरी रचना टूटते घरों और बिखरते दिलों को,
फिर से जोड़ने का प्रयास करती है,
जहां संवाद और समझदारी हो।
🕊 नफ़रत के व्यापार का विरोध: कविता स्पष्ट रूप से इस बात को नकारती है कि किसी भी कारण से न नफ़रत को बढ़ावा दिया जाए -चाहे वह धर्म हो, जाति या विचार के।
🕊 भविष्य की चिंता: इसमें हमने चेतावनी दी है कि अगर हम आज नहीं चेते तो ,
आने वाली पीढ़ियाँ हमारी ग़लतियों की कीमत चुकाएंगी।
🕊 शांति और एकता का संदेश: अंततःयह कविता प्रेम, शांति और सामाजिक सौहार्द की स्थापना की प्रेरणा देती है — एक ऐसा समाज जहाँ हर इंसान को बराबरी से देखा जाए।
केवल प्रेम में ही हम सचमुच जीवित रह सकते हैं। केवल एकता में ही हम सचमुच फल-फूल सकते हैं।” ✨🌍 शांत, करुणा और मानवता के लिए कुमार गुप्ता की
एक प्रेरक पुकार। हम नफरत का सौदा न करें—आओ एक-दूसरे के दिलों में घर बनाएं।
💛 🇮🇳 जय हिंद। जय भारत 🤝जय मानवता। 🤝
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"मैं आपसे निवेदन करता हूंँ कि , एक शांतिपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करें - लोगों को एकजुट करें ताकि , भविष्य की पीढ़ियों को नफरत से बचाया जा सके।" |
मेरे प्यारे भाइयों और बहनों इस कविता को भी पढ़ें जिससे आपका मन हर्षित होगा।
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🌿Will You Truly Leave It Like This? 🌿
Don’t let humans fight against each other.
Don’t let the home, that someone has built with love, be destroyed.
If possible—pour water on the fire.
Don’t let any human be separated from another.
One may leave from their home,
But don’t let them leave another’s heart.
👉In this world, no one is truly bad—
just don’t let bad words spread.
Everyone has their own story to play,
But even in this game,
Don’t let anyone be forced into a role of hate.
The day you awaken and truly understand this,
You’ll find your name on the lips of every human.
You will establish peace and tranquility in the nation.
You’ll protect the new life that’s coming—
Your guest from the future,
From this storm of division.
And then, you’ll live in peace… in true harmony.
Can you do that?
Can you bring human beings together in this way?
👉Only then will you earn a place
In the home of humanity.
Otherwise, even among humans,
You will only trade in hatred.
If you can’t do this—
Then neither now, nor ever,
Will you know what it means to swim in love.
You will yearn your whole life.
There will be no destination,
No shore—
And you will not recognize any beach.
Will you truly leave it like this?
🕊Jai hind Jai Bharat🌿
— Yashwant Kumar Gupta
Only in love can we truly live. Only in unity can we truly thrive.” ✨🌍
A stirring call for peace, compassion, and humanity by Yashwant Kumar Gupta.
Let’s not trade in hatred—let’s build homes in each other’s hearts. 💛
Jai Hind Jai Bharat
मैं आपसे निवेदन करता हूंँ कि एक शांतिपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करें - लोगों को एकजुट करें ताकि भविष्य की पीढ़ियों को
नफरत से बचाया जा सके।
🕊 नफ़रत के दौर में मोहब्बत की बात- शांति और मानवता पर आधारित कविता :- 🕊 आइए, एक कदम उठाएँ—नफ़रत को नहीं, इंसान को अपनाएँ।:- 🌿 इंसान से इंसान को लड़ने ना दो।
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