🌸 कविता परिचय 🌸
यह कविता मैंने उस वक्त लिखी थी जब मैं 📖 इतिहास पढ़ रहा था।
उस समय भारत 🇮🇳 अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था।
हिंदू और मुस्लिम भाइयों ने एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम लड़ा —
एक ही मक़सद था — "स्वतंत्र भारत" का सपना।
इस लड़ाई ने हमें आज़ादी दिलाई, लेकिन जाते-जाते अंग्रेज़ 🇬🇧
एक ज़हर भरा बीज बो गए,
जिसने हमारे वतन को बाँट दिया — भारत और पाकिस्तान के रूप में।
💔 एक ही दिल को दो टुकड़ों में बाँट दिया गया...
जब मैंने ये कविता लिखी,
तो मेरी आंखों से आंसुओं की नदियाँ बह रहीं थीं 😢
और मेरी कलम ✍️... रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
💌 ये कविता सिर्फ शब्द नहीं —
ये जज़्बात हैं, वो चीख है जो आज भी वतन के सीने में गूंजती है।
🇮🇳 वतन कभी मरता नहीं, वो तो हर दिल में जिंदा रहता है।
तो आओ,
हम सब मिलकर,
मन से कहें —
💚 "मन से मन का डोर..." 🧡
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
मन से मन का डोर
तिरंगा खींचे अपनी ओर
गंगा भूले अपनी छोड़.
बहती जाए सागर की ओर.
मन से मन का डोर
मिट्टी की खुशबू आए.
हवा चली आंचल उड़ी जाए.
सांझ की बादल तुझे बुलाए.
तेरी आहट पे तिरंगा लहराए.👍
भूला पंछी घर को लौटे.
राहे देखे मिलने को तरसे.
प्यास लगी तो बादल बरसे.
कटेंगे सफर हंसते-हंसते.🚊
लहराए तिरंगा ऐसे.
रिश्ता हो पहले जैसे.👬
वतन मेरी आजाद है.
चिंता की ना बात है.
तेरी खत से
मेरे दिन की शुरुआत है
मेरी हर पैगाम
तुझ तक पहुंचे.
जय हिंद जय हिंद
भारत मां की क्या बात है.👪
आधुनिकरण का विकास हुआ है.
देर से ही मगर शुरुआत हुआ है.
तैनात हूं वहां.
जहां प्रथम संदेशा
कबूतरों से आगाज हुआ है.
सुबह दाने देना उनको.
समझना मेरी रात की नींद
समाप्त हुआ है.
हिमालय खड़ा था.⛵
बादल जिद पे अडा़ रहा था.
साहस तो देखो मेघदूत की.
उन्होंने बादल पे
हाथ क्या फेरा था.
उनकी प्रियतम जुल्फे सुलझाएं.
हर पैगाम को पढ़ा था.👇
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"‘मन से मन का डोर’ – देशभक्ति पर आधारित एक भावनात्मक हिंदी कविता, जो भारत की आज़ादी और बंटवारे की संवेदनाओं को दर्शाती है" |
👉ये भारत है..
आजादी के खातिर.
गुलामी के हर जंजीरों से लड़ा था.
शतरंज का दौर था.
हर मोहरा दाव पे लगा था.
वर्षों बाद सन 1947 में.✌
एक ही धागे के दो टुकड़े.
आजादी में मिला था.
एक तरफ हिंदुस्तान
दूसरी तरफ पाकिस्तान.
एक ही मैदान के 64 खाने में.
मां की छाती जख्मी होकर पड़ा था
बंद करो ये कुर्बानी.
खत्म कर दो ये बलिदानी
जिसको जितना नसीब था.
उसको उतना ही मिला था.
तुम सबको आजादी मिल गई.
मगर एक मां का जख्म.
हर समय हरा भरा मिला था.💔
आजाद होकर भी
बिखड़ा मिला था.
हिंदुस्तान में गंगा
पाकिस्तान में झेलम.
जो आग फैल रही है.🔥
कोई तो बताए
कहां जाकर नहाया जाए.
जो जख्म हरा भरा है.
उसे कैसे बुझाए जाए.⛈
जय हिंद जय भारत.
लेखक ✍️कुमार गुप्ता
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