कविता के माध्यम से, समाज का मार्गदर्शन!

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✍️ कुमार गुप्ता

मन से मन का डोर | देशभक्ति कविता | तिरंगा गीत और गंगा का संदेश

   🌸 कविता परिचय 🌸

यह कविता मैंने उस वक्त लिखी थी जब मैं 📖 इतिहास पढ़ रहा था।

उस समय भारत 🇮🇳 अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था।

हिंदू और मुस्लिम भाइयों ने एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम लड़ा —

एक ही मक़सद था — "स्वतंत्र भारत" का सपना।


इस लड़ाई ने हमें आज़ादी दिलाई, लेकिन जाते-जाते अंग्रेज़ 🇬🇧

एक ज़हर भरा बीज बो गए,

जिसने हमारे वतन को बाँट दिया — भारत और पाकिस्तान के रूप में।

💔 एक ही दिल को दो टुकड़ों में बाँट दिया गया...

जब मैंने ये कविता लिखी,

तो मेरी आंखों से आंसुओं की नदियाँ बह रहीं थीं 😢

और मेरी कलम ✍️... रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

💌 ये कविता सिर्फ शब्द नहीं —

ये जज़्बात हैं, वो चीख है जो आज भी वतन के सीने में गूंजती है।

🇮🇳 वतन कभी मरता नहीं, वो तो हर दिल में जिंदा रहता है।


तो आओ,

हम सब मिलकर,

मन से कहें —

💚 "मन से मन का डोर..." 🧡

🇮🇳🇮🇳🇮🇳


मन से मन का डोर

तिरंगा खींचे अपनी ओर

गंगा भूले अपनी छोड़.

  बहती जाए सागर की ओर.

 मन से मन का डोर


 मिट्टी की खुशबू आए.

 हवा चली आंचल उड़ी जाए.

  सांझ की बादल तुझे बुलाए.

 तेरी आहट पे तिरंगा लहराए.👍


 भूला पंछी घर को लौटे.

राहे देखे मिलने को तरसे.

प्यास लगी तो बादल बरसे.

कटेंगे सफर हंसते-हंसते.🚊


लहराए तिरंगा ऐसे.

रिश्ता हो पहले जैसे.👬


  वतन मेरी आजाद है.

चिंता की ना बात है.

 तेरी खत से

 मेरे दिन की शुरुआत है

 मेरी हर पैगाम

 तुझ तक पहुंचे.

जय हिंद जय हिंद

भारत मां की क्या बात है.👪


 आधुनिकरण का विकास हुआ है.

 देर से ही मगर शुरुआत हुआ है.

तैनात हूं वहां.

जहां प्रथम संदेशा

 कबूतरों से आगाज हुआ है.

 सुबह दाने देना उनको.

समझना मेरी रात की नींद

समाप्त हुआ है.


हिमालय खड़ा था.⛵

 बादल जिद पे अडा़ रहा था.

साहस तो देखो मेघदूत की.

उन्होंने बादल पे

 हाथ क्या फेरा था.

 उनकी प्रियतम जुल्फे सुलझाएं.

हर पैगाम को पढ़ा था.👇


कुमार गुप्ता की यह रचना मन से मन का डोर आज़ादी की जंग बंटवारे की पीड़ा और मातृभूमि के अटूट प्रेम को शब्दों में पिरोती है।
"‘मन से मन का डोर’ – देशभक्ति पर आधारित एक भावनात्मक हिंदी कविता,
 जो भारत की आज़ादी और बंटवारे की संवेदनाओं को दर्शाती है"

👉ये भारत है..

 आजादी के खातिर.

गुलामी के हर जंजीरों से लड़ा था.

शतरंज का दौर था.

 हर मोहरा  दाव पे लगा था.

वर्षों बाद सन 1947 में.✌

 एक ही धागे के दो टुकड़े.

 आजादी में मिला था.

एक तरफ हिंदुस्तान

दूसरी तरफ पाकिस्तान.

एक ही मैदान के 64 खाने में.

मां की छाती जख्मी होकर पड़ा था


बंद करो ये कुर्बानी.

 खत्म कर दो  ये बलिदानी  

जिसको जितना नसीब था.

उसको उतना ही मिला था.


तुम सबको आजादी मिल गई.

मगर एक मां का जख्म.

हर समय हरा भरा मिला था.💔


आजाद होकर भी  

 बिखड़ा मिला था.

हिंदुस्तान में गंगा

पाकिस्तान में झेलम.

जो आग फैल रही है.🔥

कोई तो बताए


कहां जाकर नहाया जाए.

जो जख्म हरा भरा है.

उसे  कैसे बुझाए जाए.⛈

जय हिंद जय भारत.

लेखक ✍️कुमार गुप्ता

मुख्य बिंदु  हैं:


🧵 1. भावनात्मक जुड़ाव (मन से मन का डोर)

मनों का आपसी संबंध देश की मिट्टी, तिरंगे, और संस्कृति से जुड़ा है।

गंगा का सागर की ओर बहना मातृभूमि को छोड़ने जैसा प्रतीक बनता है।

🇮🇳 2. देशभक्ति का गौरव

तिरंगे की लहर में हर दिल धड़कता है।

मिट्टी की खुशबू, हवा, सांझ के बादल सब मातृभूमि की याद दिलाते हैं।

🕊️ 3. प्रवासी की पीड़ा और लगाव

प्रवासी भारतीय या सैनिक जो दूर हैं, उनका दिल वतन की यादों में रमता है।

खत और संदेशों से दिन की शुरुआत होती है, और हर संदेश वतन तक पहुँचे, यही कामना है।

🕊️ 4. आधुनिकता बनाम परंपरा

आधुनिकरण की शुरुआत भले देर से हुई हो, पर जड़ें गहरी हैं।

कबूतरों से संदेश भेजने की परंपरा अब टेक्नोलॉजी से बदली है, पर भावनाएं वही हैं।

⛰️ 5. प्राकृतिक रूपकों का प्रयोग

हिमालय, बादल, मेघदूत जैसे तत्वों के माध्यम से साहस, प्रेम और प्रतीक्षा का चित्रण।

प्रकृति भी देश के इतिहास और भावनाओं की गवाह बनती है।

🧩 6. बंटवारे की पीड़ा (Partition of India)

1947 का बंटवारा एक भावनात्मक आघात है।

हिंदुस्तान-पाकिस्तान दो हिस्से बने, पर मां (देश) की छाती जख्मी रह गई।
एक ही भूमि के दो टुकड़े होना एक मातृत्व की पीड़ा है।✋ 7. युद्ध और बलिदान के खिलाफ संदेश

बार-बार बलिदान और कुर्बानी का दौर खत्म करने की अपील।

भारत और पाकिस्तान से शांति वार्तालाप की अपील


💔 8. विभाजन का ज़ख्म अब भी ताज़ा है

आज़ादी के बावजूद भावनात्मक रूप से भारत बंटा हुआ है।

गंगा और झेलम अब दो देशों में हैं, मगर दिल अब भी एक होने को तरसता है।

🏁 9. समापन – देश को समर्पित प्रणाम

जय हिंद, जय भारत के नारों से कविता समाप्त होती है — मातृभूमि को श्रद्धांजलि।

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👉Here is the English translation of my beautiful and emotional poem "मन से मन का डोर" (Thread from Heart to Heart), along with its emotional depth preserved for better understanding

Thread from Heart to Heart

A thread from heart to heart,
The tricolor pulls us toward itself.
The Ganga forgets her path,
And flows toward the ocean—
The thread from heart to heart.

The Essence of the Soil

The fragrance of the soil rises,
The breeze flutters your veil.
The twilight clouds call for you,
And the tricolor waves at your footsteps. 👍

The Longing of the Bird

The lost bird returns home,
Longing for reunion.
If thirst arises, let the clouds pour,
Let the journey pass with smiles. 🚊


The Tricolor & Bond

Let the tricolor wave like before,
Let our bonds feel like they once did. 👬

A Free Homeland

My country is free,
No reason for worry.
Your letter—
Is the start of my day.
Every message I send,
May it reach you.
Jai Hind! Jai Hind!
Oh, how glorious is Mother India! 👪

Modernization with Roots

Modernization has arrived,
Late, but it has begun.
I stand guard—
Where once the first message
Was sent by pigeons.
Feed them grains at dawn,
Know then, my night’s sleep
Has ended.

👉Nature’s Loyalty

The Himalayas stood tall. ⛵
The clouds stubbornly resisted.
But look at the courage of the messenger cloud—
They gently touched the clouds,
Untangling their beloved’s hair,
Reading every message she sent.

This is India

This is India—
That fought for freedom,
Broke every chain of slavery.
It was an era of chess,
Where every piece was at stake.

Partition – A Wound

Years later, in 1947, ✌
One thread split into two—
In the name of freedom.
One side became Hindustan,
The other, Pakistan.
On the same board of 64 squares,
A mother’s chest lay wounded.

A Plea for Peace

Stop this sacrifice,
End this cycle of martyrdom.
Each received only
What destiny granted.

You all got freedom,
But one mother’s wound
Never healed. 💔

Freedom, Yet Broken

Though free,
We remain scattered.
Ganga flows in Hindustan,
Jhelum in Pakistan.
The fire spreads— 🔥
Tell me, someone,
Where can one bathe now
To wash away such wounds? ⛈

Jai Hind, Jai Bharat

Salute to the nation—
Jai Hind, Jai Bharat!

✍️ By Kumar Gupta


Key Themes & Emotions

1. Emotional Bonding –
The thread from heart to heart symbolizes deep emotional ties to the motherland, culture, and the flag.

2. Pride in Patriotism –
The natural elements—wind, soil, clouds—evoke love for the nation and nostalgia.

3. Pain of Distance –
Be it a migrant, a soldier, or a traveler—their soul remains tied to their homeland through letters and memories.

4. Tradition vs. Modernity –
Though modernization has begun, the roots remain strong. From pigeons to messages—only the means have changed, not the emotion.

5. Nature as a Witness –
Mountains, clouds, and mythical messengers like Megdoot express longing, love, and endurance.

6. The Pain of Partition –
The 1947 split is seen as a deep wound, a mother divided—still bleeding emotionally.

7. Call for Peace –👈
An appeal to end the cycle of sacrifices, and to restore love and harmony between India and Pakistan.

8. Fresh Wounds –
Even after decades, the emotional and cultural partition remains unresolved. Rivers may be divided, but hearts are not.

9. Conclusion with Reverence –
A powerful tribute to the motherland, ending with the call:
“Jai Hind, Jai Bharat.”


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