✨ कविता परिचय: "ईर्ष्या, भावनाएँ और आत्म-चिंतन"
जब कोई इंसान दूसरों की खुशियों से जलता है🔥,
तो असल में वह अपने ही भीतर की अशांति😔 से जूझ रहा होता है।
मेरी कविता उसी भावनात्मक द्वंद्व🌀 और आत्मचिंतन🪞 का आईना है —
जहां सच्ची मोहब्बत❤️, नफ़रत की आग🔥 में भी सुकून तलाशती है🌙।
🕯️ "मैं जलता नहीं, फिर भी वो मुझसे क्यों जलते हैं?" —यह पंक्ति बताती है कि कुछ लोग दूसरों की रोशनी✨ से
अपनी ही छाया से डरते हैं👤।
✍️ इस कविता में,
ईर्ष्या की आग🔥, मौन की भाषा🤐, और कलम के सुझाव🖊️मिलकर एक ऐसा भावनात्मक सच💭 उजागर करते हैं,
जो दिखावे की दुनिया से परे जाकर अंदर की आवाज़🧠 को छूता है।
🤝 अब आओ शुरू करे कुमार✍️ गुप्ता के साथ कविता!
📝 ईर्ष्या, भावनाएँ और आत्म-चिंतन
मन की आग में दिए जलते हैं 🔥🕯️
फिर भी इंसान मुझसे क्यों जलते हैं? 😔
मैं तो जल ना सका,
मेरी आग में वह क्यूं झुलसते हैं? 🔥
मैं तो बूझता हूं, सुलगता हूं 😶🌫️
ना जाने ओ मेरी याद में,
कितने कपड़े बदलते हैं 👕🌀
👉 फिर भी मेरी खुशबूएं हैं,
जो उनकी बदन से नहीं जाती है 🌸
मेरी सुकून की याद में,
वो जिंदा जलते हैं 💔🔥
उसकी नफरत की आग में,
मेरे मोहब्बत भी जलते हैं ❤️🔥
मैं तो संभल गया,
ओ न जाने इधर–उधर
किधर भटकते हैं 🚶♂️🌫️
हम हैं जो,
उनकी ओर आगे बढ़ते हैं 🤝
ओ कब समझेगे?
उनकी आग में,
हमपे कितने पानी बरसाते हैं? 💦🔥
गर वो डूब जाए तो,
मैं तैर-तैर कर,
उनको बचाने निकलते हैं 🌊🛟
प्यार को पाने के लिए,
ना जाने कितने दीवाने मचलते हैं ❤️🔥💫
यहाँ दिखावा की
दुनिया है मेरे प्यारे,
जहाँ सब कुछ बिकते हैं 🎭💰
👉 मुझे कौन समझे,
मौन रहकर हम भी, 🤐
अपनी कलम से,
सुझाव लिखते हैं ✍️📜
🙏 रचनाकार 🙏
यशवन्त कुमार गुप्ता
इस कविता के माध्यम से,
मैने एक गहरे भावनात्मक और मानसिक संघर्ष को व्यक्त करता हूँ।👍
👉मैं अपनी आंतरिक ज्वाला और दूसरों की नफरत, जलन और अन्याय के प्रति अपने संघर्ष को बहुत सुंदर तरीके से बयां किया हूंँ। 🙏इस कविता में दर्द और संवेदनाओं की एक लहर है🤝, जो स्पष्ट करती है कि व्यक्ति अपनी आग को बुझाने की कोशिश करता है, ✍️लेकिन समाज या दूसरे लोग उस आग में झुलसते हैं।
👉मैंने ने यह भी कहा है कि वो कैसे एक दूसरों के प्रति अपने प्यार और देखभाल को तैरकर लेकर आते है, भले ही वह स्वयं जल रहे हो। 🖕इसके साथ ही समाज की झूठी दुनिया, जो केवल दिखावे पर आधारित है, उसे भी मैंने चित्रण लेखन किया हूंँ। रचना में संवेदनाओं का गहरा प्रभाव है, जहां एक व्यक्ति अपनी सच्चाई और मोहब्बत के बावजूद न केवल अपने भीतर की आग से जूझता है, बल्कि दूसरों के लिए अपनी राह भी चुनता है।
कविता का संदेश है कि दुनिया के इस दिखावे और नफरत भरे समाज में, सच्चा प्रेम और अच्छाई जिंदा रहते हैं, ✍️मैंने अपनी कलम से समाज को जागरूक करने की कोशिश करता है।
🌙 कभी-कभी कुछ लफ़्ज़ दिल में उतर जाते हैं…
अगर ये रचना आपको छू गई हो,
तो नीचे दी गई कुछ और कविताएं भी
आपके जज़्बातों को आवाज़ दे सकती हैं... 💌✨
- टीमवर्क और व्यापार वृद्धि,भविष्य की उत्पादन तकनीक,कार्यस्थल में सुरक्षा :- 👉प्रोडक्शन का व्यापार, रोजी-रोटी और समाज की प्रगति का आधार।
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जरूर पढ़ें शुकून मिलेगा!
अपने भावनात्मक वजन और गहराई के कारण🤝
पाठकों को सोचने पर मजबूर कितना करती है,
अपनी सुझाव मुझे जरुर बताए।
🙏🙏कुमार✍️गुप्ता🙏🙏
👉My poetry is translated from Hindi to English for better understanding and collaboration
The lamps burn in the fire of the heart.
Still why do people get jealous of me?
I could not burn.
Why do they burn in my fire?
I try to understand and burn.
I don’t know how many clothes they change in my memory.
Still my fragrance is there,
Which does not leave their body.
In the memory of my comfort,
They burn alive.
In the fire of their hatred,
My love also burns.
I have regained my composure,
I don’t know where they wander here and there.
We are the ones,
We move forward towards them.
When will they understand?
In their fire,
How many waters do they pour on us.
If they drown,
I swim out to save them.
I don’t know how many crazy people are restless to get love.
This is a world of show-off my dear,
Where everything is for sale.
Who understands me,
Staying silent, we too,
Write suggestions with our pen✍️.
By Kumar Gupta
Through this poem,
👉I express a deep emotional and mental struggle. I have very beautifully described my inner flame and my struggle against the hatred, jealousy and injustice of others. There is a wave of pain and sentiments in this poem, which makes it clear that a person tries to extinguish his fire, but the society or other people get burnt in that fire.
👉I have also said how they bring their love and care for each other by swimming, even if they themselves are burning. Along with this, I have also depicted the false world of society, which is based only on show-off. There is a deep impact of emotions in the creation, where a person, despite his truth and love, not only struggles with the fire within himself, but also chooses his path for others.
👉The message of the poem is that in this world of pretense and hatred, true love and goodness live, I try to make the society aware with my pen✍️✍️
Kumar ✍️Gupta
✨ – यशवन्त कुमार गुप्ता की आत्मा से निकली हुई एक गूंज
"ईर्ष्या, भावनाएँ और आत्म-चिंतन" — सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं,
महसूस करने के लिए है।
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