कविता के माध्यम से, समाज का मार्गदर्शन!

कविता के माध्यम से, समाज का मार्गदर्शन!
जहां शब्द बनते हैं समाज की आवाज!
yashswarg.blogspot.com
✍️ कुमार गुप्ता

अनुभवों की सदाकत- जहाँ हर शब्द जीवन की गवाही बनती है- सामाजिक कविता

  🕊कविता परिचय: ✍️ ये कविता मैंने तब लिखी जब मैं जीवन के कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था,

जिसमें जीवन के अनुभवों 🌪️, सच्चाई 🪞, मानवीय भावनाओं 💓 और सामाजिक द्वंद्व ⚖️ को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया हूंँ।

🕊️ मैं अपनी कलम से “सदाकत” यानी ईमानदारी और सच्चाई को केवल शायरी नहीं,

बल्कि अपने जीवन की सजीव झलक बताया है।

🔍 मैंने कविता में भ्रम 🌫️, धर्म 🛐, रिश्ते 🤝, खुशी-ग़म 😊😢 जैसी जटिलताओं को दर्शाते हुए

मानवता 🕯️ और आत्मचिंतन 🧘 का संदेश दिया है।

🌿 परिस्थितियों की रचना पाठकों को अपने अंदर झांकने और सच्चाई को समझने की प्रेरणा देती है।
अनुभव आधारित प्रेरणात्मक कविता — यशवंत कुमार गुप्ता की सदाकत समाज के लिए मार्गदर्शक संदेश।
नफ़रत के दौर में मोहब्बत की बात करना ही असली सदाकत है —
जब शब्द हथियार नहीं, संदेश बन जाएँ।
✍️💭 #यशस्वर्ग #KavitaKeRang #Sadakat"


🤝आओ हमसब मिलकर शुरू करे शायरी उसके बाद कुमार✍️ गुप्ता के साथ कविता

🕊 मेरी सदाकत को दुनिया वालों ,

शायरी ना समझनाये तो मेरा ,

अनुभव का नजारा है!" 🌿

यशवंत का अंत कहाँ होने वाला है! 

🕊️ मेरी सदाकत

मेरी सदाकत को लोग ✍️ शायरी कहते हैं,

मेरी नजाकत को लोग 💔 कमजोरी कहते हैं।


जो लोग मुझे सुनते ही नहीं,

वो मुझे खामोशी कहते हैं 🤫।

जो लोग मुझे समझते ही नहीं,

वो मुझे बेवकूफ कहते हैं 🤷‍♂️।


ये भ्रम तो हमारा है…

क्या हमारा, क्या तुम्हारा है —

उनको भी मेरे ग़म ने मारा है 😔,

इसीलिए तो वो मेरा सहारा है 🤝।


मेरा खुशी या उनका ग़म —

दोनों एक-दूसरे का किनारा है 🛶।

पानी जितना सहारा है,

प्यास बुझे और डूबे गला 💧😓।

ये क्या होने वाला है?


👉 तुम मेरा खुशी और अपना ग़म भूल जा,

मुझे लगा ले गले 🤗 —

यही जीने का सहारा है,

वरना वक़्त ने सबको मारा है ⏳💥।


हमने कभी भी,

किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है।

ग़म कितना भी हो,

खुशियां या तकरार का,

प्यार या बेवफाई का —

आज तक कहाँ किसी ने इनको हराया है?

एक ने रोया है 😢

दूजा ने पछताया है 😞 —

जो इनके पीछे भागे,

मानो वो मोह माया है 🌀।


मेरी सदाकत यही कहती है:

नीचे की 🌍 धरती, ऊपर का ☁️ आसमान,

दिन का ☀️ सूरज, रात का 🌙 चांद,

ना ही कोई हमारा मुकाम...


🕊 किसी का खुदा, हमारा भगवान,

हमारा गीता, तुम्हारा कुरान 📖🕌🛕।

क्यों बीच में पिसे इनकी मकान?

पहले खुद को जान 🧘‍♂️।


कुछ भी नहीं हमारा है —

ये भ्रम ने सबको मारा है।

और मरने के बाद,

सिर्फ तेरे कांधे का सहारा है 🕊⚰️।


मेरी सदाकत को दुनिया वालों,

शायरी ना समझना —

यह तो मेरा अनुभव का नज़ारा है 👁️🧠।


कैसे समझाऊं तुम्हें,

यहाँ तो मुझे दिल्लगी ने मारा है 💘🔥,

मैं तो समझ नहीं सका —

क्या हमारा, क्या तुम्हारा है...

🕊 सब यहीं पर खाक बनकर रहने वाला है।

✍️ रचनाकार: यशवंत कुमार गुप्ता

  ये कविता जीवन के गहरे अनुभवों, सत्य, मोह-माया और मानवीय संबंधों को उजागर करती है। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

🕊 सदाकत और नजाकत का संघर्षसच्चाई को लोग शायरी समझते हैं, और संवेदनशीलता को कमजोरी।

🕊 मौन और अनसुनी भावनाएँजो लोग समझते नहीं, वे खामोशी को नाम दे देते हैं।

🕊 दुःख और सहाराजीवन में दुःख हर किसी को प्रभावित करता है, और इसी वजह से सहारा महत्वपूर्ण होता है।

🕊 धार्मिक एकता और भ्रममनुष्य की आत्मा गीता और कुरान से अलग नहीं है, मगर यह दुनिया भ्रम में जीती है।

🕊 मृत्यु का सत्यअंततः सभी मिट्टी में मिल जाते हैं, यही अंतिम सत्य है।

इस कविता में जीवन के संघर्षों, भावनाओं और अस्तित्व की सच्चाई को दर्शाया गया है।

💖 जहां भावनाएं बहती हैं, वहां शब्द रुकते नहीं…

अगर आपको ये कविता पसंद आई,

तो चलिए कुछ और जज़्बातों की गलियों में साथ चलते हैं... 🌸ये भी कविता पढ़े

🕊 यादों की नदी,बरसात-सा जीवन,सागर की ओर,संग संग चलो :- 👉मेरा जीवन नदिया की पानी है।

🕊 नफरत से परे,तेरी बाहों में सुकून,ख़्वाब और कफन,तेरी तलाश में:- 👉छांव तेरी गेसुओं की

 

👉My poetry is translated from Hindi to English for better understanding and collaboration.

"People mistake my sincerity for poetry,  But it is merely the reflection of my experience."

People call my sincerity poetry; they mistake my sensitivity for weakness. Those who do not listen to me Assume that my silence defines me.

Those who fail to understand me Label me a fool. Yet, this illusion persists— is it yours or mine? Even their sorrows have wounded them,  And that is why they have become my refuge.

My happiness and their pain, both are the shores to each other’s existence. Like water that supports life— it quenches thirst, yet it drowns the voice. What fate awaits us?

Forget my happiness, let go of your sorrow, Embrace me instead— For  that alone is the support to survive. Time has defeated all, yet, we have never harmed anyone.

No matter how deep sorrow runs— whether joy, conflict, love, or betrayal, No one has ever conquered them.

One weeps, another regrets, But chasing them is mere illusion— A deceptive mirage of life.

My truth says the same: The earth below, the sky above, the sun by day, the moon by night, yet none of these mark our destination.

You’re God, my Bhagwan, My Gita, your Quran, Yet homes are crushed between them— Know yourself first.

Nothing truly belongs to us; Illusions have consumed us all. And after death, all that remains is the support of a shoulder.

People mistake my sincerity for poetry, but it is merely the reflection of my experience. How can I explain it to you? Even my affections have betrayed me. I could never understand— what is yours, what is mine? Everything will eventually turn to dust.

 This poem highlights Its key points:

The Struggle Between Sincerity and Sensitivity – People mistake truth for poetry and view sensitivity as weakness.

Silence and Unheard Emotions – Those who do not understand, define silence in their own way.

Pain and Support – Suffering affects everyone, making emotional support essential.

Religious Unity and Illusion – The human soul is not separate from the teachings of the Gita or the Quran, yet the world lives in illusion.

The Truth of Death – In the end, all return to dust—that is the ultimate reality.

 Yashwant Kumar Gupta

🌿 🕊

मेरी सदाकत को दुनिया वालों ,शायरी ना समझनाये तो मेरा ,अनुभव का नजारा है!:- अनुभवों की सदाकत" – जहाँ हर शब्द जीवन की गवाह बनती है। सामाजिक कविता✍️

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